राजस्थान में एक पूर्व सांसद, तीन पूर्व विधायकों और चार रिटायर्ड अफसरों के साथ 16 लोगों ने बीजेपी का दामन थाम लिया है. इस पूरे कार्यक्रम के दौरान बीजेपी के प्रदेश प्रभारी और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी, नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ और विधायक वासुदेव देवानानी मौजूद थे, और उनकी मौजूदगी में ही 16 लोगों को बीजेपी में शामिल कराया गया.

bjp congressबीजेपी का दामन थामने वालों में सबसे अहम नाम पूर्व सांसद धन सिंह रावत का है. इनके अलावा पूर्व विधायक पवन दुग्गल, रविन्द्र बोहरा और गीता देवी भी शामिल हैं. इनके साथ रिटायर्ड आईपीएस जसवंत संपतराम, रिटायर्ड आईएएस एसपी सिंह, स्टेट जीएसटी के अतिरिक्त आयुक्त रहे दिनेश रंगा भी बीजेपी में आए. रिटायर्ड आईएएस मनोज शर्मा ने भी भाजपा में शामिल हुए.

बीते चुनावों के दौरान बीजेपी से बागी होने वाले दीनदयाल कुमावत की घर वापसी हुई है. साथ ही विवेक बोहरा, लल्लूराम बैरवा, डॉ. शिवचरण कुशवाह, रानी दुग्गल, रिकी वर्मा, ममता राठौड़ और विष्णु भांभू ने भी पार्टी की सदस्यता ली है. बीजेपी में शामिल होने वाले पूर्व सांसद धनसिंह रावत, पहले भाजपा में ही थे. वो 2004 में बीजेपी से सांसद रह चुके हैं. टिकेट न मिलने की वजेह से उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी. पूर्व विधायक पवन दुग्गल मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी से साल 2008 से 2013 तक विधायक रहे. गीता वर्मा भी 2013 से 2018 तक सिकराय से विधायक रही थीं.
बिना शर्त पार्टी में आए.

बिना किसी शर्त पार्टी में शामिल

बीजेपी पार्टी के प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने कहा कि इन सभी नेताओं ने बिना किसी शर्त के बीजेपी की सदस्यता ली है. सभी ने संकल्प लिया है कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंकना है. नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि बीते साढ़े चार साल में कांग्रेस ने हजारों करोड़ रुपए का भ्रष्टाचार किया, अपराधी बेलगाम हुए और लूट, डकैती हत्या, हत्या के प्रयास, दुष्कर्म सहित गंभीर तरह की वारदातें लगातार बढ़ रही है. प्रदेश के लोग शांति प्रिय माहौल में रहना चाहते हैं लेकिन तुष्टिकरण की राजनीति करने वाली कांग्रेस प्रदेश में शांति व्यवस्था कायम रख पाने में नाकाम साबित हुई है.

congress rajasthanराजस्थान में पिछले 25 साल से सत्ता परिवर्तन का ट्रेंड रहा है. 1998 के बाद से हर पांच साल में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस की सरकारें आती-जाती रही हैं. एससी और एसटी रिजर्व सीटों के आंकड़े बीजेपी के पक्ष में रहे हैं. विधानसभा की 200 सीटें हैं, इनमें से 59 सीटें अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) समुदाय के उम्मीदवारों के लिए रिजर्व हैं. इस चुनाव में दोनों दलों की कोशिश इन समुदाय को अपने पाले में बनाए रखने की है. राजस्थान में दोनों पार्टियां अक्सर राजपूत समुदाय को लुभाने की कोशिश करती आई हैं.

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अनुसूचित जाति की आबादी पूरे राज्य में फैली हुई है. उत्तरी राजस्थान में कॉन्सट्रेशन ज्यादा है, जिसमें गंगानगर, हनुमानगढ़ और बीकानेर जैसे जिले शामिल हैं. पश्चिमी और मध्य राजस्थान में भी बड़ी संख्या में एससी आबादी है और कई एससी आरक्षित सीटें हैं. दक्षिणी राजस्थान में उदयपुर, डुंगुरपुर और बांसवाड़ा जैसे जिले शामिल हैं. वहां अनुसूचित जाति के लोग बहुत कम हैं. यहां की 35 विधानसभा सीटों में से सिर्फ दो सीटें ही एससी के लिए आरक्षित हैं, हालांकि इस क्षेत्र में अनुसूचित जनजातियों का कॉन्सट्रेशन ज्यादा है.

बीजेपी का क्या प्लान है?

राजस्थान में कुछ ही महीने बाद विधानसभा चुनाव हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अजमेर जिले में एक सभा की थी. इस महीने के आखिर में भी पीएम सीकर जिले में एक और बैठक करने वाले हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस साल जयपुर, जोधपुर और राज्य के बाकी क्षेत्रों में रैलियां और सार्वजनिक बैठकें की हैं. मेवाड़ क्षेत्र में 17 आरक्षित सीटें यानि टोटल 28 में से हैं. यहां बीजेपी और कांग्रेस के बीच लगभग कांटे की टक्कर रही है. बीजेपी के पास सात सीटें और कांग्रेस के पास छह सीटें हैं.