रेवड़ी कल्चर पर एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई है. और गहलोत सरकार को नोटिस तक जारी कर जवाब तलब किया है दरअसल राजस्थान और मध्य प्रदेश में अपनी-अपनी सरकार बचाने के लिए दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने फ्री की घोषणाओं की झड़ी लगा दी है. दूसरे शब्दों में कहे तो रेवड़ी कल्चर को खूब बढ़ावा दे रही है.
इसके खिलाफ हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल दायर किया गया था. जिसमें आरोप लगाया है कि लोगों के टैक्स के पैसों से ही मुफ्त के सामानों और सुविधाओं को उन्हे बांटा जा रहा है. जिसका भार आने वाले वक्त में लोगों पर ही पड़ेगा.
प्रधानमंत्री मोदी अक्सर अपने भाषणों में चुनाव के दौरान किए गए मुफ्त के वादों को रेवड़ी कल्चर कहकर संबोधित करते हैं. उनका कहना है कि इससे कभी देश का भला नहीं हो सकता है. बल्कि इससे जनता को ही नुकसान पहुंचेगा.
चुनाव से पहले गहलोत का एक और बड़ा ऐलान
गहलोत जनता को लुभाने के लिए नए नए हथकंडे अपना रहे हैं. इस बार चुनाव से पहले सीएम गहलोत ने राजस्थान में तीन नए जिलों के गठन की चौंकाने वाली घोषणा की है. राजस्थान में अब सुजानगढ़, मालपुरा और कुचामन तीनों नए जिले बनाए गए हैं.
इसी के साथ राजस्थान में कुल जिलों की संख्या 53 हो जाएगी. इससे पहले 17 मार्च को मुख्यमंत्री ने एक साथ 19 नए जिलों के गठन की घोषणा की थी. इसके बाद राजस्थान में कुल जिलों की संख्या 50 हो गई थी. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अशोक गहलोत क्यों 3 नए जिलों की घोषणा करके इसे अपना मास्टर स्ट्रोक मान रहे हैं.
एक नया जिला दूसरे जिले को तोड़कर बनाया गया है. नए जिले के लिए अलग से फंड जारी किया जाएगा. जिससे डवलेपमेंट प्लान बढ़ेगा. चुनाव से पहले नए जिले के लिए नई ऩई घोषणाएं होगी. जनता को लुभाने के लिए तमाम काम किए जाएंगे. और तो और एडमिनिस्ट्रेटिव लॉ एंड ऑर्डर की समस्या कम होगी.
राजकुमारी दिया के नाम पर हो सकती है चर्चा
बीजेपी इस बार राजस्थान में कुछ बड़ा करने वाली है. जिसको लेकर अंदर ही अदंर एक खास रणनीति बनाई जा रही है. एक तरफ तो बीजेपी के सामने कांग्रेस को हराकर सत्ता में वापस आने की चुनौती है तो दूसरी तरफ पार्टी की अंदरूनी कलह से पार पाते हुए सीएम चेहरे को चुनने का चैलेंज है.
दरअसल, इस बार पार्टी ने सीएम फेस का ऐलान नहीं किया है. इससे पहले तक पार्टी का चेहरा रहीं पूर्व सीएम वसुंधरा राजे इस बार उतनी सक्रिय नजर नहीं आ रहीं. पार्टी ने भी उन्हें अभी तक बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी यहां नया नेतृत्व को लाने की तलाश में है.
पिछले महीने प्रधानमंत्री मोदी परिवर्तन संकल्प यात्रा के समापन के मौके पर जयपुर पहुंचे थे. उस दिन मंच संचालन का जिम्मा राजसमंद से बीजेपी सांसद राजकुमारी दीया के पास था. इसके बाद से ही चर्चा होने लगी कि क्या राजकुमारी दीया ही रानी का सियासी विकल्प बनने वाली हैं. दीया 2013 में सवाई माधोपुर से पहली बार विधायक बनीं थीं. ऐसे में राजकुमारी इस बार राजस्थान में कमाल कर सकती है.