अंशिका चौहान- अफगानिस्तान में तालिबान सरकार ने एक नई मीडिया गाइडलाइन जारी की है. इसी बीच तालिबान सरकार ने एक ऐसे फैसले की धज्जियां उड़ा दी है, जिससे अफगानिस्तान में मीडिया कट जाएगा. वास्तव में, तालिबान ने घोषणा की है कि किसी भी मीडिया या समाचार एजेंसियों को उसके तथाकथित प्रशासन के हितों के खिलाफ कुछ भी प्रकाशित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद से चर्चा थी कि अब अफगानिस्तान में मीडिया को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है और ठीक वैसा ही होता दिख भी रहा है. अफगानिस्तान इंटेलिजेंसर्स प्रोटेक्शन कमेटी (एजेएससी) का हवाला देते हुए, खामा प्रेस ने बताया कि उत्तरी बदख्शां जागीर में मूल अधिकारियों ने मीडिया आउटलेट्स को समीक्षा और दमन के बाद अपनी रिपोर्ट प्रकाशित करने के लिए कहा है. अपनी सबसे पिछली रिपोर्ट में, AJSC ने कहा कि बदख्शां प्रांत में तालिबान ने घोषणा की है कि किसी भी मीडिया या समाचार एजेंसियों को समूह के हित के खिलाफ प्रकाशित करने की अनुमति नहीं है. खामा प्रेस के अनुसार, AJSC ने कहा कि सूचना और संस्कृति के प्रांतीय निदेशक, मुएजुद्दीन अहमदी ने कहा है कि महिलाओं को रिपोर्टिंग उद्देश्यों के लिए सार्वजनिक रूप से मौजूद होने की अनुमति नहीं है.
छोड़ कर भाग रहे पत्रकार अपना ही मुल्क
अफ़ग़ानिस्तान पहले से ही आर्थिक कंगाली से जूझ रहा है और जो भी बची कूची आज़ादी थी वो भी छिन ली तालिबान ने. पहले आम नागरिक कि ज़िन्दगी जहनुम बना रहा था तालिबान और अब अपने ही मुल्क के मीडियाकर्मी कि आज़ादी भी छिन लिया है.अफगानिस्तान में जारी बदहाली की वजह से दर्जनों छोटे मीडिया आउटलेट्स ऐसे हैं, जिन्हें बंद होना पड़ा है. देश में जारी बदहाली का सितम मीडिया ऑर्गेनाइजेशन पर भी पड़ा है, क्योंकि वे अपने कर्मचारियों की सैलरी तक नहीं दे पा रहे हैं.वॉचडॉग के मुताबिक, 70 फीसदी से अधिक मीडियाकर्मी बेरोजगार हो गए हैं या देश छोड़कर भाग गए हैं. सबसे अधिक प्रभावित समुदाय वो है, जो अभी भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बरकरार रखने में जुटा हुआ है. कोई भी मीडिया भ्रष्टाचार, कुप्रबंधन, सरकार की क्षमता की कमी या तालिबान के लोगों के प्रति व्यवहार पर रिपोर्ट नहीं कर सका है.