उत्तर प्रदेश में रोहिंग्या मुसलमानों पर सख्त कार्यवाई की जा रही है और दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी बार-बार रोहिंग्याओं के मुद्दे पर अपनी मोहब्बत का इजहार करती हुई दिखाई दे रही हैं.
यूपी ATS ने गाजियाबाद, मथुरा के साथ 6 जिलों में छापेमारी कर अवैध रूप से रह रहे 74 रोहिंग्या मुसलमानों को गिरफ्तार किया है. सभी अवैध रूप से बांग्लादेश से बॉर्डर क्रॉस कर भारत आए थे और यहां पर झुग्गी-झोपड़ियों में रह रहे थे. मथुरा के थाना जैंत क्षेत्र के अलहपुर और कोटा गांव के बीच बड़ी संख्या में रोहिंग्या झुग्गी-झोपड़ी बनाकर रह रहे थे. रात करीब 2 बजे पहुंची टीम ने पहले सभी के कागज चेक किए, 8 घंटे तक चली कार्रवाई में टीम ने मौके से 29 पुरुष और 2 महिलाओं को गिरफ्तार किया।
एसपी सिटी मार्तंड प्रकाश सिंह ने बताया कि 40 रोहिंग्याओं को गिरफ्तार किया गया है. हालांकि एटीएस ने 31 लोगों की गिरफ्तारी की पुष्टि की है.
ममता बनर्जी पर आरोप लगता है कि वो रोहिंग्याओं को शरण देती है, और अभी हाल ही में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने ममता बनर्जी पर जोरदार हमला किया था और कहा था की कि ममता बनर्जी रोहिंग्या मुसलमानों और आतंकवादियों का समर्थन करती हैं.
बीजेपी के नेता शुवेंदु ने ममता को बंगाल की बर्बादी का जिम्मेदार ठहराते हुए उन्हें रोहिंग्याओं की ‘खाला’ बताया. शुवेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी को ममता को रोहिंग्याओं की फूफी बताया है.
जम्मू कश्मीर पुलिस के मुताबिक जम्मू में अवैध रूप से रह रहे जिन आप्रवासियों के पास पासपोर्ट अधिनियम की धारा (3) के मुताबिक, वैध यात्रा दस्तावेज नहीं थे, कागज नहीं थे. उन्हें हीरानगर के ‘होल्डिंग सेंटर’ भेजा गया है. जम्मू-कश्मीर में 13000 से अधिक रोहिंग्या मुस्लिम हैं.
वोट के लिये बदलती ‘ममता’?
साल 1998 में ममता बनर्जी ने घुसपैठियों का समर्थन किया था. उन्होंने मुंबई में अवैध रूप से बसे बांग्लादेशियों को निकालने का विरोध किया था. बांग्लादेशी घुसपैठियों को निकाले जाने को ‘अत्याचार’ बताया. साल 2005 में ममता बनर्जी ने घुसपैठियों का विरोध किया था. उन्होंने लेफ्ट पर बंगाल में बांग्लादेशियों की घुसपैठ बढ़ाने का आरोप लगाया था और बांग्लादेशी घुसपैठियों को ‘आपदा’ बताया, बाहर करने की मांग की थी.
कौन हैं रोंहिग्या मुस्लिम?
रोहिंग्या एक स्टेटलेस या राज्यविहीन जातीय समूह है. ये इस्लाम को मानते हैं और म्यांमार के रखाइन प्रांत से आते हैं. 1982 में बौद्ध बहुल देश म्यांमार ने रोहिंग्या की नागरिकता छीन ली थी. इससे उन्हें शिक्षा, सरकारी नौकरी समेत कई अधिकारों से अलग कर दिया गया. तब से म्यांमार में रोहिंग्या के खिलाफ हिंसा जारी है. 2017 में हुए रोहिंग्या के नरसंहार से पहले म्यांमार में उनकी आबादी करीब 14 लाख थी, 2015 के बाद से म्यांमार से 9 लाख से ज्यादा रोहिंग्या शरणार्थी भागकर बांग्लादेश और भारत समेत आसपास के अन्य देशों में जा चुके हैं.
क्या रोहिंग्या का है आतंक से कनेक्शन?
बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स यानी BSF के DG केके शर्मा ने 2018 में कहा था कि देश में अवैध रूप से रोहिंग्या का बड़ी संख्या में आना सुरक्षा के लिए खतरा है. उन्होंने कहा था कि रोहिंग्या के आतंकी संगठनों से लिंक की संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, रोहिंग्या छोटी-मोटी चोरियों से लेकर लूटपाट, हत्या और डकैती जैसे बड़े अपराधों में भी शामिल रहते हैं. म्यांमार में 5 साल पहले सेना के दमन से शुरू हुआ रोहिंग्या मुस्लिम संकट बांग्लादेश, भारत समेत 6 एशियाई देशों की परेशानी का सबब बन गया है.