अगर कोई राजनीतिक पार्टी या कोई संगठन आरोपी बनाए जाते हैं. और उस मामले में पार्टी पर केस चलता है. और आरोप सिद्ध भी हो जाते हैं तो भी किसी पार्टी को जेल में नहीं डाला जा सकता. बल्कि पार्टी के ऊपर फाइन लग सकता है. आम आदमी पार्टी एक रजिस्टर्ड नेशनल पार्टी है. उसके पास चुनाव आयोग का दिया हुआ चुनाव चिह्न है.
अब अगर सिद्ध हो जाता है पार्टी किसी आपराधिक गतिविधि में शामिल है पार्टी के जरिए घोटाला हुआ है. तो चुनाव आयोग इसके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है. उसके नेशनल पार्टी स्टेटस या चुनाव निशान को लेकर भी कार्रवाई हो सकती है. उस पार्टी पर बैन लग सकता है. इतिहास में ऐसा पहली बार होगा जब किसी पार्टी पर भ्रष्टाचार का इतना बड़ा आरोप लग रहा है.
आम आदमी पार्टी पर बैन लगता है तो केजरीवाल की सारी चालाकी चंद मिनटो में निकल जाएगी. क्योंकि आम आदमी पार्टी पर साफ साफ सिद्ध हो रहा है कि पूरी पार्टी ने मिलकर घोटाला किया. शराब घोटाले की रकम का इस्तेमाल गोवा चुनाव में हुआ.
ईडी की चार्जशीट में केजरीवाल का नाम भी सामने आ चुका है. ईडी की चार्जशीट में खुलासा हुआ था कि संजय सिंह और दिनेश अरोड़ा के बीच पैसों को लेकर पहली डील केजरीवाल के घर पर ही हुई थी. इसी दौरान संजय सिंह और दिनेश अरोड़ा के बीच करोड़ों का लेनदेन हुआ था.
पार्टी आरोपी बनती है तो आगे केजरीवाल का क्या होगा. अगर AAP पर आरोप सिद्ध हो जाते हैं तो सजा पार्टी को मिलेगी. जब तक इस घोटाले में अरविंद केजरीवाल की संलिप्तता नहीं पाई जाती, उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सकता. लेकिन अगर जांच के दौरान उनकी संलिप्तता भी पाई जाती है तो उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ईडी से पूछा कि जब संजय सिंह के खिलाफ आपके पास पुख्ता सबूत थे. तो फिर गिरफ्तारी में इतना वक़्त क्यों लगाया. साथ ही पूछा कि पैसों के जिस लेनदेन की बात ED कर रही हैं तो मामला तो काफी पुराना है. फिर गिरफ्तारी में इतनी देरी क्यों हुई. वहीं जब ईडी ने संजय सिंह की 10 दिन की कस्टडी मांगी तो कोर्ट ने ईडी से पूछा कि संजय सिंह का फोन आपके पास जब्त है.
दिनेश अरोड़ा के कर्मचारी ने बताया कि उसने 2 करोड़ रुपए संजय सिंह के घर दिए थे. इसके अलावा 1 करोड़ इंडो स्प्रिट के ऑफिस से लेकर भी संजय सिंह के घर दिए थे. संजय सिंह के घर छापेमारी में डिजिटल एविडेंस मिला है. उसको लेकर कन्फ्रंट करना है. साथ ही ईडी ने कहा कि संजय सिंह का फोन जब्त कर लिया है. इसमें कुछ कॉन्टैक्ट नंबर मिले हैं. जिन्हे कन्फ्रंट कराना है.
कोर्ट में संजय सिंह ने कहा कि झूठ की कोई इंतेहा नहीं है. अमित अरोड़ा को गिरफ्तार कर लिया गया. मैं उनके लिए इतना अनजान था कि उसे मेरा नाम याद नहीं आया, लेकिन अचानक मेरा नाम याद आया. मैं हाथ जोड़ के विनती कर रहा हूं, अगर इनके आरोप में सच्चाई है तो मुझे कड़ी से कड़ी सजा दें. लेकिन ऐसे बेबुनियाद जांच करना कहां तक उचित है? मुझे एक बार भी बुलाया नहीं गया, मेरे लिए अलग कानून क्यों सर?