अंशिका चौहान: भारतीय सैनिकों का बड़ा ही गौरवशाली इतिहास हरदम से रहा है.देश के इन वीर जवानों ने न जाने कितनी कुर्बानियां दी हैं. भारत माता के ऐसे ही एक बहादुर सैनिकों में से एक बहादुर सैनिक का नाम था ‘मेजर शैतान सिंह’ का. वो मेजर शैतान सिंह जो रेज़ांग ला के भगवान बन कर चीनियों को खदेड़ रहे थे. 1962 के चीन युद्ध में सेना की एक छोटी सी टुकड़ी का नेतृत्व किया था.मेजर शैतान सिंह बड़ी ही बहादुरी के साथ दुश्मनों से लड़ते हुए शहीद हो गए.1962 के युद्ध के स्वीकृत इतिहास के अनुसार, 1800 फीट रेजांग ला के चौकी पर चीनी हमला 18 नवंबर को सुबह 4 बजे शुरू हुआ, जिसमें लेह और चुशुल के बीच डुंगती के रास्ते सड़क संपर्क को अवरुद्ध कर दिया गया ताकि चुशुल चौकी को अलग-थलग कर दिया जाए.आखिरी भारतीय बंदूकें 18 नवंबर को रात 10 बजे बजती थीं, जिसकी कहानी कहने के लिए 112 रैंकों में से केवल, 14 ही कहानी सुनाने के लिए बची थीं. मेजर शैतान सिंह और उनकी सेना ने पहले तीन इंच के मोर्टार, राइफल, संगीन और बिना किसी तोपखाने या हवाई समर्थन के उन लूटने वाले चीनी लोगों के खिलाफ लड़ाई लड़ी, जिन्होंने दो तरफ से पोस्ट पर हमला किया था. मेजर को उनकी बहादुरी के लिए परमवीर चक्र से नवाजा गया था.मगर क्या आप जानते हैं कि मेजर और उनकी बहादुर सेना ने चीनी दुश्मनों कि लाशों के अम्बार लगा दिए थे.एक एक सैनिक 10 -10 चीनियों पर भारी पड़ गया था.
आखिरी सांस तक अपने पैर से मशीन-गन चलाते रहे
मेजर शैतान सिंह अपनी आखिरी साँस तक दुश्मनों को मौत के घाट उतार रहे थे.वो साथ ही साथ अपने साथियों का भी मनोबल मजबूत करते हुए आगे बढ़ रहे थे, और तभी एक गोली आ कर मेजर को लगी और वो धराशाही हो गए. मगर उनके जोश में कोई कमी नहीं थी. उनकी सेना उन्हें दूसरे स्थान पर ले जाना चाह रही थी, मगर मेजर ने मना कर दिया और दुश्मनों से लड़ने के लिए बोला.कहा जाता है कि, मेजर ने अपने पैरों पर एक रस्सी की मदद से मशीन गन को बंधवा लिया था.हाथ बुरी तरह से जख्मी हो गए थे इसलिए वो अपने पैरों से मशीन गन चला रहे थे. वो अपनी अंतिम सांस तक दुश्मनों से लड़ते रहे.फिर 18 नवंबर,1962 को देश कि रक्षा करते हुए शहीद हो गए.बताया जाता है की उस वक़्त ठंड बहुत थी, जिसकी वजह से लाशों को ढूढ़ पाना मुश्किल था. फिर युद्ध के 3 महीने बाद, जब बर्फ पिघलने लगी तो, शहीद मेजर शैतान सिंह और उनके कुछ बचे साथियों के शव बरामत किए गए.दिलचस्प बात ये है कि, जब मेजर का शव बरामत किया गया तब भी उनके पैरों में मशीन गन बंधी हुई मिली थी.कहते हैं कि इस युद्ध में लग भग 1300 चीनी सैनिक को हमारे देश के सपूतों ने मौत के घाट उतार दिया था.
मेजर शैतान सिंह और उनकी सेना की शहादत के लगभग 60 साल बाद उनकी याद में एक नए स्मारक का उद्घाटन किया जाएगा. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सीडीएस जनरल बिपिन रावत गुरुवार को चीनी सेना के खिलाफ 1962 के युद्ध में अपने अदम्य साहस का प्रदर्शन करने वाले दिग्गज सैनिकों को सम्मानित करने के लिए रेजांग ला युद्ध स्मारक का उद्घाटन करेंगे.
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