प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के सामने 2047 का एजेंडा रखा है. उन्होंने कहा, भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र होगा जिसमें भ्रष्टाचार, जातिवाद और सांप्रदायिकता की कोई जगह नहीं होगी.
सत्ता पाने के लिए बनाई जाने वाली नीतियों को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘गैर-जिम्मेदाराना वित्तीय और लोकलुभावन नीतियों के अल्पकालिक राजनीतिक परिणाम मिल सकते हैं, लेकिन लंबी अवधि में इसकी बड़ी सामाजिक और आर्थिक कीमत चुकानी पड़ सकती है’. इसका सबसे अधिक असर सबसे गरीब वर्ग पर पड़ता है. उन्होंने कहा कि भारत आगामी जी20 शिखर सम्मेलन में इस मुद्दे पर आम सहमति बनाने का प्रयास करेगा साथ ही उन्होंने चीन और पाकिस्तान पर भी निशाना साधा.
स्टालिन के बेटे उदयनिधि का शर्मनाक बयान
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म की तुलना डेंगू और मलेरिया से की है. उन्होंने कहा है कि सनातन का सिर्फ विरोध नहीं किया जाना चाहिए. बल्कि, इसे समाप्त ही कर देना चाहिए. अब, उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज हुई है. जिसमें उत्तेजक, भड़काऊ और मानहानिकारक बयान जैसी धाराएं शामिल हैं. एक शिकायत दिल्ली पुलिस कमिश्नर से भी की गई है.
दरअसल, उदयनिधि ने सनातन उन्मूलन सम्मेलन में भाषण दे रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा, ‘सनातन धर्म सामाजिक न्याय और समानता के खिलाफ है. कुछ चीजों का विरोध नहीं किया जा सकता, उन्हें खत्म ही कर देना चाहिए. हम डेंगू, मच्छर, मलेरिया या कोरोना का विरोध नहीं कर सकते. हमें इसे मिटाना है. इसी तरह हमें सनातन को भी मिटाना है.’
स्टालिन के बयान पर अमित शाह की हुंकार
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह राजस्थान के डुंगरपुर में थे. जहां उन्होंने साफ साफ कहा कि डीएमके और उनके ‘इंडिया’ गठबंधन सहयोगी कांग्रेस के नेताओं पर “सनातन धर्म” को खत्म करना चाहते हैं. विपक्षी गुट ‘इंडिया’ ‘हिंदुत्व से नफरत करता है ये ‘हमारी विरासत पर हमला’ है.
गृह मंत्री ने आरोप लगाया कि उदयनिधि स्टालिन की टिप्पणी इंडिया ब्लॉक की ‘वोट बैंक की राजनीति’ और ‘तुष्टिकरण’ की रणनीति का हिस्सा है. नोट करने वाली बात ये है कि स्टालिन के बयान पर विपक्ष का कोई भी नेता सामने आकर इसकी निंदा नहीं की. उससे ठीक उलट. कांग्रेस वामपंथी और गठबंधन के कई नेताओं ने स्टालिन के बयान को सही ठहराया है.
वन नेशन वन इलेक्शन पर गरमाई राजनीति
मोदी के एक फैसले से विपक्ष में हड़कंप मचा हुआ है. केंद्र सरकार वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर कमेटी गठित कर चुकी है. लेकिन राहुल सहित कई नेताओं ने विरोध करने शुरु कर दिया है. राहुल गांधी ने वन नेशन वन इलेक्शन को संघ पर हमला बताया है. उन्होंने सोशल मीडिया पर जारी बयान में कहा कि ‘इंडिया अर्थात भारत, राज्यों का एक संघ है’.
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का विचार संघ और उसके सभी राज्यों पर हमला है’. साथ ही कमेटी से कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने किनारा कर लिया है. इस समिति में अध्यक्ष समेत 8 सदस्यों का नाम शामिल है. जिसमें पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद. गृहमंत्री अमित शाह, कांग्रेस सासंद अधीर रंजन चौधरी, गुलाम नबी आजाद, एन के सिंह, सुभाष कश्यप, हरीश साल्वे और संजय कोठारी हैं.