बिहार में जाति आधारित गणना की रिपोर्ट पर सियासत तेज होती जा रही है. कई तरह के सवाल नीतीश सरकार पर खड़े हो रहे हैं. आंकड़ों की सच्चाई पर सवाल पूछे जा रहे हैं. पर इन सवालों का जवाब ना देकर नीतीश सरकार अपनी पीठ थपथपा रही हैं. ऐतिहासिक कदम बता रही हैं.
राजनीतिक नफा नुकसान को ध्यान में रखते हुए नीतीश-तेजस्वी सरकार ने रिपोर्ट तो तैयार कर ली. सवाल उठने भी लगे हैं कि क्या नीतीश कुमार का जाति जनगणना फर्जी हैं. उपेंद्र कुशवाहा ने जातीय गणना के आंकड़ों को फर्जी बताया है. उन्होने कहा कि उनके घर तो कोई सर्वे के लिए आया ही नहीं. ट्रांसजेंडर समुदाय ने भी सर्वे रिपोर्ट पर नाराजगी जताई है. ट्रांसजेंडर कार्यकर्ता ये दावा कर रहे हैं कि गणना प्रक्रिया के दौरान उनसे ब्योरा नहीं लिया गया.
बिहार सरकार ने राज्य की जातिगत जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक कर दिए हैं. जिसको लेकर बवाल मचा हैं. आकड़ों पर सवाल उठ रहे हैं. कहा जा रहा हैं कि आंकड़े हड़बड़ी में जारी किए गए हैं तो यह भी स्वभाविक है कि बहुत से लोगों का नाम छूट गया होगा और कुछ लोगों का नाम जान बूझकर भी छोड़ दिया गया होगा. साथ ही कई बड़े नेता इसे फर्जी करार दे रहे हैं.